माइक्रोमैनेजमेंट क्या है और इससे कैसे निपटें ज़्यादातर प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की शिकायत होती है कि वे अक्सर माइक्रोमैनेजमेंट झेलते हैं. ऐसा तब होता है जब कोई मैनेजर या टीम लीडर बहुत बारीकी से और अत्यधिक नियंत्रण के साथ अपनी टीम के कामकाज में दखलअंदाज़ी करता है। इसमें छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना और टीम के सभी लोगों के हर फ़ैसले पर लगातार निगरानी रखना शामिल होता है। इसका परिणामस्वरूप, अक्सर ऑफ़िस के माहौल में तनाव और असंतोष पैदा हो जाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो मैनेजर, माइक्रोमैनेजमेंट करते हैं, दरअसल उनमें आत्मविश्वास की कमी और डर बना रहता है। अपनी टीम पर भरोसा न करना या हमेशा खुद को दूसरों से बेहतर दिखाने की होड़ भी माइक्रोमैनेजमेंट के लक्षण हैं। माइक्रोमैनेजमेंट के कुछ लक्षणों में शामिल हैं: मैनेजर द्वारा टीम के साथ बार-बार मीटिंग करना : टीम के हर छोटे फैसले और काम पर बारीकी से नजर रखने के लिए मैनेजर अक्सर मीटिंग करने लगे तो समझ लीजिए कि आप भी माइक्रोमैनेजमेंट की चपेट में आ चुके हैं। बार-बार फ़ीडबैक देना : नियमित रूप से काम करने के तरीकों पर टिप्पणिय...
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