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ऑफ़िस में माइक्रोमैनेजमेंट से इस तरह निपटें

माइक्रोमैनेजमेंट क्या है और इससे कैसे निपटें

ज़्यादातर प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की शिकायत होती है कि वे अक्सर माइक्रोमैनेजमेंट झेलते हैं. ऐसा तब होता है जब कोई मैनेजर या टीम लीडर बहुत बारीकी से और अत्यधिक नियंत्रण के साथ अपनी टीम के कामकाज में दखलअंदाज़ी करता है। इसमें छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना और टीम के सभी लोगों के हर फ़ैसले पर लगातार निगरानी रखना शामिल होता है। इसका परिणामस्वरूप, अक्सर ऑफ़िस के माहौल में तनाव और असंतोष पैदा हो जाता है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो मैनेजर, माइक्रोमैनेजमेंट करते हैं, दरअसल उनमें आत्मविश्वास की कमी और डर बना रहता है। अपनी टीम पर भरोसा न करना या हमेशा खुद को दूसरों से बेहतर दिखाने की होड़ भी माइक्रोमैनेजमेंट के लक्षण हैं।



माइक्रोमैनेजमेंट के कुछ लक्षणों में शामिल हैं:

मैनेजर द्वारा टीम के साथ बार-बार मीटिंग करना: टीम के हर छोटे फैसले और काम पर बारीकी से नजर रखने के लिए मैनेजर अक्सर मीटिंग करने लगे तो समझ लीजिए कि आप भी माइक्रोमैनेजमेंट की चपेट में आ चुके हैं।

बार-बार फ़ीडबैक देना: नियमित रूप से काम करने के तरीकों पर टिप्पणियाँ और निर्देश देना।

टीम के पास खुद से फ़ैसले लेने की आज़ादी न होना: कर्मचारियों को उनके कार्यों में स्वतंत्रता और निर्णय लेने की आज़ादी न देना।

माइक्रोमैनेजमेंट से परेशान होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि काम की गुणवत्ता में कमी, कर्मचारी की प्रेरणा में कमी, और कार्यस्थल पर तनाव बढ़ना। मैनेजर को यह समझना चाहिए कि कर्मचारियों को पर्याप्त स्वायत्तता और समर्थन दिया जाए ताकि वे अपने काम को बेहतर तरीके से कर सकें और कामकाजी वातावरण में संतुलन बना रहे।


माइक्रोमैनेजमेंट से कैसे निपटें

माइक्रोमैनेजमेंट से निपटने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं। यहाँ कुछ प्रभावी तरीके दिए गए हैं:

  1. स्पष्ट संवाद स्थापित करें: अपने मैनेजर का साफ और स्पष्ट रूप से काम के बारे में अपडेट दें, ताकि उसे बार-बार आपको पूछना न पड़े। स्पष्ट रूप से बताने पर उनकी चिंता कम हो सकती है। अगर फिर भी बात न बने, तो मैनेजर को बार-बार ऐसा करने के लिए मना करें और कहें कि आप उन्हें काम खत्म होने पर खुद ही बता देंगे।

  2. प्रोएक्टिव बनें: अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए खुद से पहल करें और मैनेजर को दिखाएँ कि आप काम को संभाल सकते हैं. इससे उन्हें आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा।

  3. समस्या के समाधान का सुझाव दें: जब आप किसी समस्या का सामना कर रहे हों, तो केवल समस्या को ही न बताएं, बल्कि उसके समाधान का भी सुझाव दें। यह आपके सोचने की क्षमता और समस्या सुलझाने के कौशल को प्रदर्शित करता है।

  4. फीडबैक पर ध्यान दें: अगर आपका मैनेजर फीडबैक देता है, तो इसे सकारात्मक रूप में लें और सुधार की दिशा में काम करें। यह दिखाता है कि आप उनकी सलाह को महत्व देते हैं और खुद को सुधारने के लिए तैयार हैं। अगर फीडबैक सही नहीं है या आपको लगता है कि पक्षपात है, तो किसी सीनियर से बात करें और उन्हें मैनेजर द्वारा किए जाने वाले पक्षपात के बारे में बताएँ। 

  5. स्वतंत्रता की मांग करें: धीरे-धीरे अपने मैनेजर को दिखाएँ कि आप स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं। उनसे कम हस्तक्षेप की मांग करें, लेकिन इसे विनम्रता और पेशेवर तरीके से करें।

  6. समय-समय पर समीक्षा करें: किसी तय समय पर अपने मैनेजर के साथ मीटिंग करें और उनकी अपेक्षाओं पर चर्चा करें। 

  7. मानसिक स्थिति को समझें: मैनेजर का माइक्रोमैनेजमेंट कभी-कभी उनके अपने तनाव या दबाव के कारण हो सकता है। समझें कि वे क्यों ऐसा कर रहे हैं और इसे उनके दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करें।

  8. शांति बनाए रखें और तनाव न लें: अगर स्थिति बहुत तनावपूर्ण हो रही है, तो समस्या को हल करने या उसे अपने ऊपर हावी न होने देने का कौशल विकसित करें और ऐसी स्थितियों को शांतिपूर्वक हल करने की कोशिश करें।

  9. आवश्यकता होने पर सहायता लें: अगर स्थिति ज़्यादा कठिन हो रही हो और आपकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही हो, तो HR या किसी अन्य सीनियर मैनेजर से बात करें।

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